पर्णच्छद अंगमारी (शीथ ब्लार्इट)
इस बीमारी के लक्षण तने पर लिपटी बाहरी पर्णच्छद पर अनियमित आकार के मटमैले सफेद व हरे धब्बों के रूप में फुटाव से गाभे की अवस्था के बीच दिखार्इ देते हैं जिनके किनारे गहरे भूरे तथा बैंगनी रंग के होते हैं। बाद में इन धब्बों का रंग पुआल जैसा हो जाता है। प्राय: इस रोग के लक्षण शुरू में मेढ़ों के आसपास व खेत में उन जगहों पर पाये जाते हैं जहां खरपतवार हों। अधिक प्रकोप की स्थिति में यह रोग सबसे ऊपर की पत्ती (फ्लैग लीफ) तक पहुँच जाता है। ये धब्बे आपस में मिलकर पूरी की पूरी पर्णच्छद और पत्तियों को झुलसा देते हैं जिसके परिणामस्वरूप बालियों में दाने पूरी तरह नहीं भरते। नमी के मौसम में इन धब्बों के ऊपर फफूँद का कवकजाल व भूरे काले रंग के पिण्ड भी पाए जाते हैं। ये पिण्ड कवकजाल (मार्इसिलियम) की सहायता से धब्बों पर चिपके रहते हैं परंतु हल्का सा झटका लगने पर गिर जाते हैं।
रोकथाम/सावधानियां
• मेढ़ों व खेत में घास (मुख्यत: दूब) न रहने दें।
• नत्रजन खाद का अधिक प्रयोग न करें।
• फसल की कटार्इ के बाद ठूँठों को खेत में ही जला दें।
• लस्टर 37.5% एस र्इ 400 मि.ली. या शिथमार 450 मि.ली. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ दो बार छिड़काव करें। पहला छिड़काव रोग की शुरूआती अवस्था में व दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 दिन बाद कर देना चाहिए।