जस्ते की कमी के कारण पौधों की वृद्धि मंद पड़ जाती है।इसकी कमी के लक्षण बिजाई के 20 दिन बाद पहली सच्ची पत्ती पर आते हैं।
पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है और किनारे गुलाबी हो जाते हैं। उनकी शिराओं के मध्य में ऊतकों का रंग पीला-सफेद या कागजी-सफेद हो जाता है जबकि शिरायें हरी ही रहती हैं।
पत्तियां नीचे या ऊपर की तरफ प्याले की आकृति ले लेती हैं। अधिक कमी से प्रभावित पत्तियां मर भी जाती हैं। फूल व फली देर से बनती हैं।
उपचार
भूमि में यदि जस्ते की कमी है (डी. टी. पी. ए. निष्कर्षणीय जस्ता 0.5 पी.पी.एम. से कम है) तो 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ आखिरी जुताई से पहले खेत में बखेर कर जुताई कर दें।
खड़ी फसल में कमी के लक्षण दिखाई देने पर 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट और 2.5 प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर 10-14 दिन के अन्तर पर दो स्प्रे करें।