कपास के कीड़ों के एकीकृत प्रबन्ध के लिए सुझाव
• अप्रैल-मई में गहरी जुताई करें तथा पिछली फसल की जड़ों एवं डंठलों को एकत्रित कर नष्ट करें ।
• खाद का संतुलित प्रयोग करें। सिफारिश अनुसार नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश एवं जिंक खादों का प्रयोग करें। नत्रजन वाली खाद अधिक डालने से कीड़ों का प्रकोप अधिक होता है।
• खेतों में निराई-गोड़ाई आवश्यकतानुसार करें ताकि घास-फूस नष्ट हो जाएं क्योंकि घासफूस पर कई कीड़े आश्रित रहते हैं।
• कातरा व अन्य कीड़ों के अण्डों व सूण्डियों तथा मरोड़िया बीमारी से प्रभावित पत्तों/पौधों को कीड़ों सहित तोड़कर गहरा दबा दें या जला दें।
• हर खेत में नियमानुसार (15अगस्त तक हर सप्ताह तथा बाद में सप्ताह में दो बार) 10 पौधों का निरीक्षण करें तथा देखें कि वे कौन-कौन से तथा कितने कीड़ों एवं परजीवियों से प्रभावित हैं। चुने हुए पौधों पर कीड़ों की गिनती करें तथा संख्या आर्थिक कगार पर पहुंचते ही सिफारिश की गई कीटनाशकों का विधिवत छिड़काव करें तथा बाद में भी फसल पर कीड़ों का सर्वेक्षण जारी रखें।
• बी.टी.कपास पर रस चूसने वाले कीड़ों का प्रकोप प्राय: अधिक होता है। अत: इनके नियंत्रण का विशेष ध्यान रखें। परंतु इस पर अमरीकन सूण्डी, चित्तीदार सूण्डी व गुलाबी सूण्डी का प्रकोप बहुत कम होता है। फसल पकने के समय अर्थात् अक्तूबर महीने में गुलाबी सूण्डी का प्रकोप हो सकता है, अत: आवश्यकतानुसार कीटनाशकों का छिड़काव करें।