जस्ते की कमी के लक्षण व उपचार

जस्ते की कमी के लक्षण : गेहूँ की विभिé किस्मों में जस्ते की कमीके लक्षणों में कुछ अन्तर देखा गया है। जस्ते की कमी से प्राय: आरम्भ में नीचे से तीसरीया चौथी पुरानी पत्तियों के मध्य में हल्के पीले रंग के अनियमित धब्बे आ जाते हैंजो कि बाद में बड़े होकर और मिल जाने पर सफेद, पीलीव हरी चित्तियों में बदल जाते हैं। बाद में इन पत्तियों से ऊपर व नीचे वालीपत्तियां भी प्रभावित हो जाती हैं। अधिकतर ये लक्षण पत्तियों के मध्य-भाग में बिजार्इ के 25 से 30 दिन बाद प्रकट होते हैं।जस्ते की भयंकर कमी वाले क्षेत्रों में पत्तियां एकदम मुड़ जाती हैं और शिथिल होकरनीचे गिर जाती हैं। नोक वाला सिरा हरा ही रहता है। लम्बे समय तक तापमान अधिक रहनेपर कमी के लक्षण देर से प्रकट होते हैं। पत्तियों पर सफेद-पीले धब्बों की उपस्थितिको जस्ते की कमी के लक्षण नहीं समझ लेना चाहिए क्योंकि गेहूँ में इसका विशेष रूपसे उल्लेख किया गया है। जस्ते की कमी के कारण फसल के पकने में लगभग 10-14 दिन की देर हो जाती है।

  जस्ते की कमी का उपचार : भूमि में यदि जस्ते कीकमी है, डी. टी. पी. . निष्कर्षणीय जस्ता 0.68 पी.पी.एम. से कम है तब कपास-गेहूँ फसल चक्र में 10-20 किलोग्राम जिंक सल्फेटप्रति एकड़ कपास या गेहूँ की बिजार्इ से पहले आखिरी जुतार्इ पर खेत में बिखेर करमिट्टी में मिला दें। खड़ी फसल में जस्ते की कमी के लक्षण प्रकट होने पर 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट व 2.5 प्रतिशत यूरिया का घोलबनाकर 15-15 दिन के अन्तर पर दोस्प्रे करें।