सफ़ेद मक्खी
सफ़ेद मक्खी के शिशु चपटे तथा हल्के पीले रंग के होते हैं एवं इनके शरीर पर बाल होते हैं।
प्रौढ़ मक्खी के शरीर व पंखों पर सफेद रंग का चूर्ण जमा होता है।
काली मक्खी के शिशु कांटेदार, चपटे, अंडाकार तथा गहरे भूरे या काले रंग के तथा प्रौढ़ हल्के नीले रंग के होते हैं।
इन दोनों कीटों के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही मुलायम पत्तियों से रस चूसते हैं जिससे ये पत्तियां पीली होकर मुड़ जाती हैं तथा अन्त में सूख कर गिर जाती हैं।
इन मक्खियों के शिशु 25 से 70 दिनों तक पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहकर विकसित होते हैं।
प्रौढ़ ज्यादा दिन जीवित नहीं रहता।
ये कीट पूरी गर्मी (मार्च से सितम्बर) सक्रिय रहते है एवं इसका प्रकोप मार्च से अप्रैल व अगस्त से सितम्बर में ज्यादा होता है।
इन कीटों की दो पीढ़ियां होती हैं तथा ये शिशु की अवस्था में शीतनिष्क्रिय रहते हैं।
नियन्त्रण एवं सावधानियां
500 मि.ली. मोनोक्रोटोफास (न्यूवाक्रान/ मोनोसिल) 36 डब्ल्यू.एस.सी. को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
नोट:
बाग में पौधे घने नहीं लगाने चाहिएं। पानी का निकास ठीक रखना चाहिए।