चुरड़ा-थ्रिप
चुरड़ा/थ्रिप अंगूर का यह मुख्य कीट है परन्तु कभी-कभी जामुन, आम और अमरूद को भी क्षति पहुंचाता है।
इसके प्रौढ़ काले भूरे रंग के, बारीक, आकार में लम्बे होते हैं एवं शिशु छोटे पीले भूरे रंग के होते हैं जोकि पत्तों की निचली सतह को खुरच कर रस चूसते हैं।
शिशु ज्यादा हानिकारक होते हैं तथा 9-20 दिन में पूर्ण विकसित हो जाते हैं।
पत्तों पर सफेद भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। अधिक प्रकोप की अवस्था में पत्ते मुड़े हुए, पीले और अन्त में सूखकर झड़ जाते हैं।
यदि विकसित होते हुए फलों पर प्रकोप हो तो वे धब्बों के कारण भद्दे और सख्त हो जाते हैं और उनकी गुणवत्ता कम हो जाती है।
मार्च से नवम्बर तक इस कीट की 5-8 पीढ़ियां होती हैं और दिसम्बर से मार्च तक यह प्यूपा के रूप में शीत निष्क्रिय रहता है।
इसका भीषण प्रकोप शुष्क मौसम में अप्रैल से जून और अगस्त से नवम्बर में होता है।
नियन्त्रण एवं सावधानियां
500 मि.ली. मैलाथियान (सायथियान) 50 ई.सी.
या
150 मि.ली. फेनवलरेट (फेनवाल) 20 ई.सी.
को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
नोट:
जिन किस्मों के निचली सतह वाले पत्ते मोटे और रोंयेंदार हों वे इस कीट के प्रति सहनशील होती हैं।