खाद प्रबंधन हेतु सलाह
खाद प्रबंधन सबंधी अन्य जानकारियां
• यदि गेहूँ दालों या परतीछोड़ने के बाद बोर्इ जाये तब नाइट्रोजन की मात्रा 25% घटाएं व यदि ज्यादा पोषकतत्व खींचने वाली फसलों, जैसे बाजरा या ज्वार के बादबोयें तो यह मात्रा 25% बढ़ाएं।
• हर रूप में मिलने वालीनाइट्रोजन बराबर फायदेमंद है। ऐसी खादों को बीज के साथ ड्रिल न करें। बोने से पहलेखेत की तैयारी की आखिरी जुतार्इ पर इसे डालें। हल्की मिट्टी में यूरिया को सिंचार्इके बाद बत्तर आने पर डालें व गोड़ार्इ करके मिला दें।
• हल्की मिट्टी मेंनाइट्रोजन 2 बार की बजाय 3 बार में डालें।
• हल्की मिट्टी मेंनाइट्रोजन की कमी महसूस हो तो पूरा फुटाव होने पर व गांठ बनने पर पूरक खाद के तौरपर 3% यूरिया के घोल का छिड़कावकरें।
• पानी में घुलनशील फास्फेटसमान रूप से लाभदायक है। पानी में 80% से कम घुलनशील फास्फेटधारीउर्वरकों का प्रयोग न करें।
• 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम सूखीबारीक मिट्टी में मिलाकर प्रति एकड़ डालें। इसमें दूसरे उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश भी डालसकते हैं। जिंक सल्फेट घोल के रूप में छिड़का जा सकता है। 0.5% जिंक सल्फेट+2.5 किलोग्राम यूरिया या 0.25% चूना (मिश्रित) सिंचित जमीन में अच्छीपैदावार देने वाली किस्मों में पहला छिड़काव बिजार्इ के डेढ़ महीने बाद और इसके बाददो छिड़काव 15-15 दिन के अन्तर पर करें।