इस कीट की सूण्डियां जब छोटी अवस्था में होती हैं तो पत्तों की निचली सतह पर इकट्ठी रह कर नुकसान करती हैं तथा पत्तों को छलनी कर देती हैं। बड़ी होकर ये सारे खेत में फैल जाती हैं और नुकसान करती हैं।