मंडूसी या कनकी व जंगली जई का नियन्त्रण

मंडूसीया कनकी व जंगली जर्इ का नियन्त्रण :इनकी रोकथाम निम्नलिखित दवाइयों से करें :

     ()   आईसोप्रोटूरान 50% घु. पा. (टोलकान, टारस, ग्रेमिनान, नोसीलोन,रक्षक, हैक्सामार, इफ्को,आईसोप्रोटूरान, एग्रीलान, मिलरोन) गेहूँ की बिजाई  के 30-35 दिन बाद 800 ग्राम दवा का प्रति एकड़ के हिसाब से 250लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

     ()   आईसोप्रोटूरान 75% घु. पा. (एरिलोन, डैलरान, हिप्रोटूरान, नोसीलान,एगरोन, रक्षक) गेहूँ की बिजाई के  30-35 दिन बाद 500 ग्राम दवा का प्रति एकड़ के हिसाब से 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। ऐसे क्षेत्रों में जहां पर कनकी में आईसोप्रोटूरान प्रतिरोधकता नहीं आई  है,वहां आईसोप्रोटूरान 75% (डी. ई . नोसिल) का प्रयोग लाभदायकहैै। 

प्रतिरोधकता वाले क्षेत्र में आईसोप्रोटूरान का प्रयोग बन्द कर दिया गया है।

     ()   आईसोप्रोटूरान-सहायक पदार्थ-सेलवेट (टेन्कमिक्स): आईसोप्रोटूरान वर्गीय खरपतवारनाशक की ¾ सिफारिश की गई  मात्रा को 250 लीटर पानी में नान-आयोनिक सहायक पदार्थ (सेलवेट) के0.1% के छिड़काव घोल में मिलाकर बिजाई  के 30-35 दिन बाद छिड़कें। बाजार में अन्य उपलब्ध सहायक पदार्थ टी पाल व सैलविट हैं।

           गेहूँ की बिजाई  यदि दिसम्बरके प्रथम सप्ताह या बाद में हो तो आईसोप्रोटूरान 200 ग्रामप्रति एकड़ पहली सिंचाई  के तुरन्त पहले करने से जंगली जई , कनकी व बथुआ का नियन्त्रण हो जाता है।

     ()   कनकी व बाथू पर नियन्त्रण के लिए बिजाई  के तुरन्त बाद से फसल उगने के पहले 520 ग्राम पैंडीमैथालीन (स्टोम्प 30 ई . सी.) प्रति एकड़ छिड़कें। जहां इसका छिड़काव किया है वहां ज्वार की फसल न लें।

     ()   जंगली जई  व कनकी के नियन्त्रण केलिए आइसोप्रोटूरान 50% 75% का प्रयोगक्रमश: 600 ग्राम व 380 ग्राम प्रति एकड़के हिसाब से समय पर बोई  गई  गेहूँ में पहली सिंचाई  से 1 या 2 दिन पहले देना अधिक लाभदायक रहेगा।

3.   धान-गेहूँ फसल-चक्र वाले क्षेत्रों में जहां 10-15 वर्षों से आईसोप्रोटूरान का प्रयोग किया गया है वहां कनकी में इस खरपतवारनाशक के विरुद्ध प्रतिरोधकता आ गयी है। अत: प्रतिरोधकता से प्रभावित इलाकों में आईसोप्रोटूरान की बजाय निम्नलिखित में से किसी एक खरपतवारनाशक का प्रयोग करना ज्यादा उचित रहेगा :

()  क्लोडीनोफोप (टोपिक या मुल्ला या प्वाइंट या रक्षक प्लस या जय विजय या टोपल)15% घु. पा. 160 ग्राम प्रतिएकड़ बिजाई  के 30-35 दिन बाद

या

     सल्फोसल्फ्यूरान (लीडर, सफल-75 या एस एफ-10)75% घु. पा. 13 ग्राम प्रति एकड़़+500 मि.ली. सक्रिय क्रमक/चिपचिपा या सहायक पदार्थ बिजाई  के30 से 35 दिन बाद

या

     फीनोक्साप्रोप (पूमा सुपर) 10% ई .सी.480 मि.ली. या फीनोक्साप्रोप (पूमा पावर) 400 ग्राम + 200 ग्राम सहायक पदार्थ प्रति एकड़ बिजाई  के 30-35 दिनबाद।

या

     पीनोक्साडैन (एक्सियल) 5 प्रतिशत ई .सी.400 मि.ली. मात्रा प्रति एकड़ बिजाई  के 30-35 दिन बाद

उपर्युक्त में से किसी एक शाकनाशक दवा का 200-250 लीटर पानीमें घोल बना कर प्रति एकड़ स्प्रे करें।

()कनकी प्रतिरोधकता वाले क्षेत्रों में मिले-जुले (चौड़ी व संकरी पत्ती वाले) खरपतवारों के नियन्त्रण हेतु पीनोक्साडैन (एक्सियल)या क्लोडीनाफोप (टोपिक या मुल्ला या प्वांइट याजय विजय) या फिनोक्साप्रोप (पूमा सुपर या पूमा पावर) की सिफारिश की गई  मात्रा का बिजार्इ के 30-35दिन बाद स्प्रे करें तथा इसके एक सप्ताह उपरान्त 2, 4-डी या मैटसल्फूरान (एलग्रीप) कीसिफारिश की हुई  मात्रा का स्प्रे करें। उपरोक्त रसायनों को मिलाकर स्प्रे न करें।

()  गेहूँ में मिले-जुले खरपतवारों (चौड़ी व संकरी पत्तियोंवाले) विशेषकर आइसोप्रोटूरान-प्रतिरोधीक्षेत्रों में ‘‘टोटल‘‘ (सल्फोसल्फ्यूरान+मैटसल्फ्यूरान, रैडी मिक्स सहायक पदार्थ सहित)का 16 ग्राम प्रति एकड़ की दर से बिजाई  के 30-35दिन बाद 200-250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।ध्यान रहे कि इन खेतों में गेहूँ के बाद ज्वार या मक्की की फसल न उगाएं। जिन क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल लेनी हो, वहां गेहूँ में सल्फोसल्फ्यूरानका छिड़काव न करें।

()  गेहूँ मेंमिश्रित खरपतवारों के नियन्त्रण हेतु बिजाई  के 30-35 दिन बादएटलांटिस (मिजोसल्फ्यूरान + आयडोसल्फ्यूरानसहायक पदार्थ सहित तैयार मिश्रण, 3.6 डब्ल्यू. पी.) 160 ग्राम प्रति एकड़ + 0.1 एटलांटिस एक्टीवेटर को 200-250 लीटर पानी में मिलाकरछिड़काव करें। इसका दोहरा छिड़काव न करें और ऐसे खेतों में ज्वार व मक्का की फसल नउगाएं।

(.)  मिश्रित/मिले-जुले खरपतवारों (संकरी व चौड़ीपत्ती वाले) के नियंत्रण हेतु, वेस्टा 16घु.पा. (क्लोडीनाफोप-प्रोपायर्जिल+मैटसल्फ्यूरान-मिथाइल-रेड्डी मिक्स) 160 ग्रा./एकड़+500मि.ली. सर्फेक्टेंट को 200लीटर पानी में घोलकर बिजाई  के 30-35 दिन बादछिड़काव करें।

()  गेहूँ में मिले-जुले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु एकोर्ड प्लस 22प्रतिशत र्इ.सी. (फिनोक्साप्रोप8 प्रतिशत+मैट्रीब्यूजीन 14 प्रतिशत रेडीमिक्स) का 500 मि.ली. प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोलकर बिजाई  के 30-35 दिन उपरांत (जब खरपतवार 2-4 पत्तियों के हों) स्प्रे करें। लेकिन गेहूँ की किस्मों पी बी डब्ल्यू 550, डब्ल्यू एच 542 व डब्ल्यू एच 283 में इसका प्रयोग न करें।

टिप्पणी

1.   आइसोप्रोटूरान  75% घु. पा. 0.30 किलोग्राम+2,4-डी+0.10 (एस्टर) लीटर प्रति एकड़के मिश्रण को विभिन्न  प्रकार के खरपतवारों के नियन्त्रण के लिए बिजाई  के 30-35 दिन बाद प्रयोग करें।

2.   बेसुरी (खड़जालके नियन्त्रण के लिए 2,4-डी (एस्टर) 1.2 लीटर प्रति एकड़ कटाई  के तुरन्त बाद 250लीटर पानी प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़कें।

3.   परीक्षण की गई  किस्में जैसे डब्ल्यूएच 147, डब्ल्यू एच 157, डब्ल्यू एच 283,सी 306 एस 308 और डी डब्ल्यूएल 5023 में से डी डब्ल्यू एल 5023 आइसोप्रोटूरान  के प्रति संवेदनशील पाई  गई  हैं। अतआइसोप्रोटूरान  को डीडब्ल्यू एल 5023 की फसल में प्रयोग न करें।

4.   ईलैगजोन 1.0 किलोग्राम प्रति एकड़ का 30-35 दिन पर छिड़काव करने सेजंगली जई  का नियन्त्रण किया जा सकता है।

नोट: 1.   जिन क्षेत्रों में कनकी में प्रतिरोधकताकी समस्या आ गई  है वहां आइसोप्रोटूरान  का प्रयोग न करें।

     2.   गेहूँ में बिजाई  के 30-35 दिन बाद प्रयोग होने वालीसभी खरपतवारनाशकों/शाकनाशक दवाइयों का स्प्रे सदैव फ्लैट फैननोज़ल से करें।

     3.   जिस खेत में सल्फोसल्फ्यूरान (लीडर, टोटल, सफल-75 या एस.एफ. 10) का गेहूं में स्प्रे किया हो, वहां पर चारे वाली फसलें जैसे ज्वार, बाजरा, लोबिया व मक्का न बीजें।