टिड्डे


Ø  टिड्डे की विभिन्न प्रजातियों में से ‘‘फड़का’’ (हीरोगलाइफस नाइगरेपलेटस) फसल को छोटी अवस्था से लेकर पूरे वृद्धिकाल तक हानि पहुँचाता है।

Ø  शिशु और प्रौढ़ पत्तों को किनारों से खाते हैं, जिससे भारी प्रकोप की अवस्था में पत्तों की केवल मध्य शिराएं और कभी-कभी तो केवल पतAला तना ही रह जाता है, फसल छोटी रह जाती है।

Ø  इस कीड़े की एक और प्रजाति (हीरागलाइफस बनीइन), जिसके शिशु प्रौढ़ हरे रंग के होते हैं, भी मिलती है परन्तु इसकी संख्या पहली प्रजाति की अपेक्षा कम होती है।

Ø  इस कीड़े का प्रकोप फरीदाबाद, पलवल और आसपास के क्षेत्रों में अधिक है जो कि अन्य क्षेत्रों में बढ़ रहा है।