सफेद मक्खी
Ø इसकी दो जातियां गन्ना फसल को नुकसान पहुंचाती हैं।
Ø ‘आलीरोलोबस बेरोडेनसिस’ की पहचान पत्तों पर चिपके सफेद छोटे-छोटे निशानों से होती है, जबकि ‘निओमसकेलिया बरगार्इ’ के चकत्ते छोटे-छोटे व काले रंग के होते हैं।
Ø इस कीट के बच्चे पत्तों का रस चूसते हैं, जिससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं तथा अधिक आक्रमण होने पर सूख जाते हैं।
Ø यह कीट एक चिपचिपा पदार्थ भी छोड़ते हैं जिस पर काली फफूंदी लग जाती है जो प्रकाश संश्लेषण में बाधा पहुंचाती है।
Ø सूखे तथा बाढ दोनों ही स्थिति में यह कीट अधिक आक्रमण करता है।
Ø मोढ़ी की फसल में कम नत्रजन व कम सिंचार्इ की अवस्था में भी यह काफी नुकसान पहुंचाता है।
Ø इसका आक्रमण जुलाई से नवम्बर तक अधिक देखा जाता है।
Ø सफेद मक्खी सेम वाली मोढ़ी फसल में अगस्त से लग जाती है।