पायरिल्ला की रोकथाम
परजीवी से रोकथाम
पायरिल्ला के परजीवी खेत में मौजूद रहते हैं। परजीवी पायरिल्ला के अण्डों के अन्दर ही पलते हैं, जिसकी वजह से पायरिल्ला के अण्डों का रंग दूधिया से बदल कर भूरा, गुलाबी मटमैला या काला हो जाता है। बच्चों के परजीवी पायरिल्ला के बच्चों के शरीर पर चिपके काले उभरे हुए धब्बे की शक्ल में नजर आते हैं। इसी प्रकार शिशु व वयस्क परजीवी पायरिल्ला के बच्चों व प्रौढ़ के शरीर पर तथा गन्ने के पत्तों पर चिपके सफेद उभरे हुए धब्बे के रूप में नजर आते हैं। ये सब परजीवी मिलकर पायरिल्ला की कुदरती तौर पर सही रोकथाम कर लेते हैं। परन्तु कर्इ बार खेत में इनकी संख्या (गिनती) पायरिल्ला की संख्या के मुकाबले कम होने के कारण सही व समय पर रोकथाम नहीं हो पाती है और फसल में नुकसान हो जाता है। ये परजीवी पायरिल्ला से ग्रसित ज्वार, बाजरा व मक्की की फसल में भी काफी संख्या में पाये जाते हैं। पायरिल्ला से ग्रसित गन्ना फसल में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए इन फसलों से इकट्ठा करके परजीवियों को गन्ना फसल में छोड़ना चाहिये।
ये परजीवी सोनीपत, शाहबाद,महम व जीन्द चीनी मिल में स्थित बायोलोजिकल कंट्रोल लैबोरेट्री में पाले जाते हैं। यहां से इनको गन्ना मिलों तथा किसानों को पायरिल्ला से ग्रसित खेतों में छोड़ने के लिए दिया जाता है। यदि किसी कारणवश परजीवी न प्राप्त हो सकें तब पायरिल्ला के बढ़ते हुए आक्रमण को रोकने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है।
रसायन से रोकथाम :
अप्रैल से जून में रोकथाम
पायरिल्ला कभी-कभी अप्रैल से जून के महीनों में फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके लिए 400 मि.ली. मैलाथियान (सायथियान/ मैल्टाफ)50 र्इ.सी. को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल में छिड़काव करें। परन्तु इसका इस्तेमाल तभी करना चाहिये जब परजीवी खेतों में नहीं हों।
जुलाई से सितम्बर में रोकथाम
जुलाई से सितम्बर में पायरिल्ला का अधिक प्रकोप हो तो 400-600 मि.ली. मैलाथियान (सायथियान/ मैल्टाफ)50 र्इ.सी. को 400-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल में बढ़वार के अनुसार छिड़काव करें।