अन्त:वर्तीय फसल प्रबंधन

अन्त:वर्तीय खेती के लिए सिंचित क्षेत्रों में निम्नलिखितसिफारिश अपनाएँ :-
मार्च के महीने में अरहर की बिजाई समय कतारों से कतारों का फासला 75 सेंटीमीटर रखे जिसमें दो कतारोंके बीच में मूंग की दो कतार बो दें | इसीप्रकार कतार से कतार की दूरी रख कर लोबिया की किस्म एच एफ सी 42-1 की बिजाई की जा सकती है। इन अन्त:वर्तीय फसलों की कटाई 65 से 75 दिनों में की की जा सकती है। 
यदि अरहर की बिजाई कतार से कतार की दूरी 50 
सेंटीमीटर रखे तो बीच में मूंग या लोबिया की एक कतार बो दें |
 अन्त:वर्तीय खेती के लाभ: 
1. एक फसल कीलागत से अन्त:वर्तीय खेती से दो फसलें एक साथ ली जा सकती
 है।
2. अरहर की ग्रीष्म में बिजाई करने से मानसून के आगमन तक फसल कीबढवार अच्छी हो जाने से अधिक वर्षा हो जाने या सूखे को सहन कर लेती है तथा फसल में खरपतवार पनपनहीं पाते |
3. ग्रीष्मकालीन अरहर की फसल गेहूं की बिजाई के समय तक पक जाती है जिससे गेहूं की बिजाई के लिएखेत की तेयारी के लिए पूरा समय मिल जाता है।  
4. खरीफ में बोई गई अरहर की फसल की अपेक्षा 
अन्त:वर्तीय फसलों में  अधिक पेदावर व शुद्ध लाभ भी ज्यादाहोता है।