स्केल कीट और मिलीबग

स्केल कीट
किसी-किसी क्षेत्र अथवा बाग में कई तरह के नालीदार (फ्ल्यूटिड) कंटीले एवं नरम स्केल कीट आम के पेड़ पौधों को कभी-कभी अधिक हानि पहुंचाते हैं।
ये कीट छोटे, गोल एवं पीले भूरे या हल्के भूरे रंग के होते हैं तथा सफेद मोम जैसे चूर्णी पदार्थ से ढके रहते हैं।
अण्डों से तुरन्त बाद शिशु, मुलायम टहनियों और पत्तियों की निचली सतह पर चिपककर रस चूसते हैं।
क्षतिग्रस्त वृक्षों का विकास रुक जाता है।
ये कीट मीठा रस (मधुस्राव) भी छोड़ते हैं जिससे काली चींटियां आकर्षित होती हैं और फफूंदी भी लग जाती है।
फरवरी-मार्च से अक्तूबर-नवम्बर तक यह कीट सक्रिय रहता है तथा प्रौढ़ के रूप में शीत-निष्क्रिय होता है।
अमरुद की कलमी जातियां तथा नवजात पौधे इन कीटों से ज्यादा क्षतिग्रस्त होते हैं।

नियन्त्रण एवं सावधानियां 
स्केल कीटों से क्षतिग्रस्त वृक्षों पर 1.25 लीटर डाइजिनान (बासुडीन) 20 ई.सी. या 500 मि.ली. मिथाइल पैराथियान (मैटासिड) 50 ई.सी. को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ मार्च और सितम्बर में छिड़कें।

नोट :
क्षतिग्रस्त टहनियों को काटकर जला दें।