फल मक्खियाँ

अमरूद के फलों पर जुलाई से सितम्बर के महीनों में इन मक्खियों का प्रकोप अधिक होता है।
इसके प्रौढ़ घरेलू मक्खी के बराबर होते हैं और तेज उड़ते हैं।
मादा मक्खी फलों में छेद करके छिलके के नीचे अण्डे देती है।
इसकी सूण्डियां (मैगट्स) उबले हुए चावल के समान होती हैं और फल के गूदे को खाती हैं।
जिन फलों पर अण्डे दिए जाते हैं, उन पर बहुत छोटे छिद्र (जो प्रायः गहरे हरे रंग के होते हैं) देखने को मिलते हैं।
छोटे-छोटे जीवाणु इन छिद्रों से फलों में प्रवेश कर जाते हैं जिससे फल गलकर गिर जाते हैं।
सूण्डियां 5 से 7 दिन में पूरी विकसित हो जाती हैं और प्यूपा बनने के लिए जमीन पर गिर जाती हैं।
नवम्बर से मार्च तक यह कीट प्रौढ़ावस्था में शीतनिष्क्रिय रहता है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां

1.  जहां तक सम्भव हो वर्षाकालीन फसल न लें क्योंकि इस समय फल-मक्खी द्वारा नुकसान अधिक होता है।
2.मक्खी-ग्रसित फलों को प्रतिदिन इकट्ठा करें व जमीन में 2 फुट गहरा दबा दें या भेड़-बकरियों को खिला दें।
3.ग्रीष्मकाल में जमीन की खुदाई करें ताकि फल मक्खी के प्यूपा मर जायें।
4.    500 मि.ली. मैलाथियान (सायथियान) 50 ई.सी. + 5 कि.ग्रा. गुड़ या चीनी को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
अगर प्रकोप बना रहता है तो छिड़काव 7 से 10 दिन के अन्तर पर दोहराएं।

नोट:

मैलाथियान दवाई छिड़कने के 5 दिन तक फलों को न तोड़ें।