आम का तना छेदक

आम का तना छेदक
यद्यपि यह तना छेदक ज्यादा नहीं पाया जाता पर जहां और जब इसका प्रकोप होता है वहां आम, अंजीर व शहतूत आदि के वृक्षों को भी यह नष्ट कर देता है। इस कीट के प्रौढ़ 5-6 सैं.मी. लम्बे एवं मजबूत होते हैं तथा इनकी टांगें एवं एंटीना काफी लम्बे होते हैं। तना छेदक की सूंडियां 6 से 8 सैं.मी. लम्बी, मजबूत व पीले सफेद रंग की होती हैं एवं इनके मुखांग बहुत मजबूत होते हैं। ये सूंडियां तनों व शाखाओं में छाल के नीचे लकड़ी में सुरंग बनाकर उसको अन्दर ही अन्दर खाती हैं। ये सूण्डियां लकड़ी के रेशों को खाने के बजाय काटती ज्यादा हैं। सुरंग के छेद से तेल जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है। इस कीट से प्रकोपित तने एवं शाखाएं कमजोर हो जाते हैं जिससे पत्तियां गिर जाती हैं एवं तेज हवा में तने टूट जाते हैं। प्रौढ़ शाखाओं की छाल खाते हैं एवं कम हानिकारक है। इसकी मई से जुलाई तक एक पीढ़ी होती है। सूंडियां 5 से 6 महीनों तक खाकर मार्च-अप्रैल में शीत निष्क्रियता के बाद प्यूपा में परिवर्तित हो जाती हैं। पुराने, चोट लगे, गिरे हुए अथवा नष्ट हुए वृक्ष पर इस कीट का अधिक आक्रमण होता है।
नियन्त्रण एवं सावधानियां 
1. प्रकोपित तनों एवं शाखाओं को काटकर जला दें, ताकि इसके अन्दर छिपी सूंडियां एवं प्यूपे मर जाएं।
2.  सुराख पर से बूर (फ्रास) को हटाकर, उसमें 10 मि.ली. मिथाइल पैराथियान इमल्शन (4 मि.ली. मैटासिड 50 ई.सी. को एक लीटर पानी में) डालकर मिट्टी से बन्द कर दें।
3.  कमजोर एवं मर रही टहनियों तथा उखाड़े हुए वृक्षों को जला दें।