रोकथाम

  • अरगट (चेपा) से प्रभावित बालियों को नष्ठ कर दें तथा ऐसे पौधे या दानें न तो पशुओं को खिलाएं और न ही प्रयोग में लायें |बिमारी की अधिकता वाले क्षेत्रों में 3-4 साल का फसल चक्र अपनाएं |
  • अगेती व समय पर (जून के अंतिम सप्ताह  या जुलाई के पहले सप्ताह ) बोई गई फसल में अरगट के रोग की कम संभावना होती हैं। 
  • फसल काट लेने के बाद खेत में मिटटी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें ताकि अरगट के स्क्लोरेशिया , डाऊनी मिल्ड्यू के बीजाणु आदि मिटटी की तह में नष्ठ हो जाएँ |
  • धूमर तथा लिपटना घास खेत की मेढ़ों तथा बाजरा के खेत के आसपास न उगने दे |