सिंचाई एवं खरपतवार नियन्त्रण

सिंचाई

बिजाई के तुरन्त पश्चात् हल्की-सी सिंचाई की जानी चाहिए। 

सिंचाई इस प्रकार से करें कि नालियां आधी सतह तक पानी से भर जाएं।

 दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के 4-5 दिन के पश्चात् करना आवश्यक है। 

फूल व कच्चे फलों के लगने की अवस्था में सिंचाई अवश्य करें। 

तैलीया पानी के साथ जिप्सम का प्रयोग 

तैलीय पानी के एक मि.ली. तुल्यांक प्रति लीटर आर.एस.सी. को निरस्थीकरण करने के लिए जिप्सम 32 किलोग्राम (80% शुद्धता) प्रति सिंचाई, प्रति एकड़ तथा 8 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति एकड़ डाली जाए तो तोरी की फसल पर तैलीय पानी का प्रभाव कम होता है और अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

खरपतवार नियन्त्रण

खरपतवार नियन्त्रण के लिए एक या दो गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है।