आम का मिलीबग

यह कीट अनार के वृक्षों को अगर वे आम के वृक्षों के पास लगे हों तब क्षतिग्रस्त करता है।

दिसम्बर-जनवरी में अधिक संख्या में मिलीबग के छोट-छोटे अखरोट की तरह भूरे शिशु जमीन के अन्दर अंडों से निकल कर वृक्षों पर चढ़ते हैं तथा पत्तियों की सतह पर जमा हो जाते हैं।
नये फुटाव आने पर, फरवरी में ये पतली डालियों पर जमा हो जाते हैं। विकसित शिशु और प्रौढ़  मादा, चपटे, मोटे एवं अंडाकार होते हैं तथा इनके शरीर के ऊपर सफेद रंग का मोम जैसा चूर्ण जमा होता है।
ये दोनों जनवरी से अप्रैल तक बढ़ती हुइ बालियों एवं बौर वाली टहनियों आदि पर गुच्छों की तरह जमा होकर रस चूसते हैं।
परिणामस्वरूप डालियां मुरझा जाती हैं तथा प्रकोपित फूल व फल झड़ जाते हैं व अत्यधिक प्रकोप होने पर वृक्षों पर फल नहीं लगते।
ये कीट  एक  प्रकार   का  मीठा  रस (मधुस्राव) भी छोड़ते हैं जिस पर काले रंग की फफूंदी पैदा हो जाती है। वयस्क मादा अप्रैल-मई में पेड़ से नीचे उतर कर भुरभुरी जमीन में अण्डे देती है। यह कीट दिसम्बर से मई तक सक्रिय रहता है जिसमें इसकी एक पीढ़ी होती है। जून से नवम्बर तक यह कीट अण्डों की अवस्था में जमीन के अन्दर रहता है। ऐसे बागों में जिनकी देखभाल नहीं होती हो या कई तरह के फल वृक्ष होने से मिट्टी का उलटना-पलटना सम्भव नहीं हो, इस कीट का प्रकोप अधिक होता है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां

1. दिसम्बर के मध्य में कीट के शिशुओं को वृक्षों पर चढ़ने से रोकने के लिए भूमि से 0.5-1 मीटर की ऊंचाई पर तने पर 25-30 सैं.मी. चैड़ी चिकनी अल्काथीन (250-400 गेज़ पाॅलिथीन) की पट्टी लगाएं।
शीट लगाने से पहले वृक्ष की ऊपरी पुरानी छाल 5 से 8 सैं.मी. चैड़ी पट्टी के बराबर कुल्हाड़ी से काटकर छील लें।
इस समतल स्थान के ऊपर 5 सैं.मी. चैड़ी तारकोल (लुक) की तह किसी लकड़ी से लगाकर तुरन्त शीट के निचले भाग को अंगुलियों से अच्छी तरह से दबा दें जिससे शीट और लुक के बीच कोई  खाली जगह न रहे।
लुक की सहायता से शीट का ऊपरी हिस्सा भी तने पर 2-3 जगह चिपका दें।

2.(अ)अल्काथीन पट्टी के नीचे एकत्रित कीटों को मारने के लिए 100 मि.ली. मिथाइल पैराथियान (मैटासिड) 50 ई.सी. या 250 मि.ली. डायजिनान (बासूडीन) 20 ई.सी. या 300 मि.ली. क्विनलफास (एकालक्स) 25 ई.सी. को 50 लीटर पानी में मिलाकर प्रति 50 वृक्षों  पर  मध्य-जनवरी  और  फिर मध्य-फरवरी में छिड़काव करें।
पूर्ण विकसित वृक्ष के लिए लगभग एक लीटर घोल की आवश्यकता पड़ती है।

(ब)पत्तों, टहनियों आदि पर एकत्रित कीटों को नष्ट करने के लिए 500 मि.ली. मिथाइल पैराथियान (मैटासिड) 50 ई.सी. या 1.25 लीटर डायजिनान (बासुडीन) 20 ई.सी. या 1.5 लीटर क्विनलफास (एकालक्स) 25 ई.सी. को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।

3.अप्रैल व मई में वृक्षों से नीचे उतरती बैंडों में फंसी हुई या नीचे गिरी हुई मादाओं को बाल्टी में एकत्रित कर सूखी पत्तियों के साथ जला दें। बाग को साफ-सुथरा रखकर, कचरे आदि को जला दें।

4.वृक्षों के नीचे जमीन को जून-जुलाई में उलट-पलट दें ताकि कीट के अण्डे सूर्य की गर्मी एवं परजीवी शत्रुओं द्वारा नष्ट हो सकें।

नोट:

1.वृक्षों की टहनियां/पत्ते आदि भूमि घास या अन्य वनस्पति को नहीं छूने चाहिएं ताकि ये मिलीबग रेंगकर वृक्षों पर न चढ़ सकें।

2.बाग में अन्य फलों, फूलों व जंगली वृक्षों पर भी बैंड (पट्टी) लगाएं।