चपटे मुंह वाला छेदक

चपटे मुंह वाला छेदक यह आडू, अलूचा एवं नाशपाती का छिटपुट कीट है।
इसके प्रौढ़ लम्बे, मजबूत, गहरे-भूरे तथा चमकीले होते हैं।
सूण्डियां चपटे मुंह वाली (कोबरा नाग के समान) हल्के-सफेद रंग की होती हैं।
प्रौढ़ की अपेक्षा सूण्डियां ज्यादा नुकसान करती हैं।
ये तने और टहनियों की छाल के अन्दर टेढ़ी-मेढ़ी सुरंगें बनाकर उसे खाती हैं, परिणामस्वरूप छाल ढीली पड़ जाती है एवं पौध-रस का प्रवाह रुक जाता है।
ग्रसित शाखाओं की बढ़वार रुक जाती है।
पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और फल कम लगते हैं और अन्ततः ये टहनियां मर जाती हैं।
प्रौढ़ कीट कोमल पत्तियों को खाते हैं।
नये और पुराने दोनों तरह के वृक्षों पर इस कीट का आक्रमण होता है। कमजोर और अस्वस्थ वृक्षों पर तथा उन बागों में, जहां पानी की निकासी ठीक न हो, इसका प्रकोप ज्यादा होता है।
मार्च से अक्तूबर तक यह कीट अधिक सक्रिय रहता है जिसमें इसकी 2-3 पीढ़ियां होती हैं।
एक और पीढ़ी नवम्बर से मार्च तक होती है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां

1. मरी हुई तथा अधिक क्षतिग्रस्त शाखाओं को (जिनमें अत्यधिक छेद हों) शीतनिष्क्रियता के दौरान काटकर तुरन्त जला देना चाहिए।

2. कम क्षतिग्रस्त वृक्षों की ऊपर से कटाई-छंटाई करके कटी हुई टहनियों को जला दें।

3. अच्छी बढ़वार के लिए संतुलित मात्रा में खाद तथा अन्य पोषक तत्वों का प्रयोग करें।

4. बाग में पानी की निकासी अच्छी रखें और पानी इकट्ठा न होने दें।