आडू की फल मक्खी

आडू की फल मक्खी आडू के साथ-साथ यह मक्खी नाशपाती, अमरूद, आम व नींबू पर भी आक्रमण करती है एवं घरेलू मक्खी के बराबर होती है।
इसके प्रौढ़ पीले-भूरे रंग के होते हैं जिनके पंख पारदर्शी होते हैं।
ये पक रहे फलों के गूद्दे के अन्दर अण्डे देती हैं तथा क्षतिग्रस्त फलों को दबाने पर उनमें से अण्डे दिए जाने वाले छेदों से भूरे रंग का तरल पदार्थ निकलता है।
इसकी मैली-सफेद और बगैर पैर वाली सूण्डियां 5 से 15 दिन तक फल के अन्दर रह कर गूद्दा खाती हैं तथा ग्रसित फल बेडौल और छोटे रहकर सड़ने लगते हैं और अन्त में गिर जाते हैं।
सूण्डियां फलों से निकल कर जमीन के अन्दर प्यूपा बनाती हैं और इस अवस्था में ही वह शीतनिष्क्रिय रहती हैं।
यह मक्खी मई से अगस्त तक (फसल पूरी होने तक) सक्रिय रहती है जिसमें इसकी कई पीढ़ियां होती हैं।
प्रौढ़ मक्खी कई दिनों तक जीवित रहती है तथा इसके उड़ने की क्षमता भी अधिक होती है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां

1. जल्दी पकने वाली आडू की किस्में जैसे-प्लोरिडासन और शान-ए-पंजाब लगानी चाहिएं। इन पर मक्खी का आक्रमण कम होता है।

2. फलों को ज्यादा न पकने दें और ठीक समय पर तोड़ लें।

3. प्रतिदिन ग्रसित गिरे हुए फलों को इकट्ठा करके जमीन के अन्दर लगभग दो फुट गहरा दबा दें।

4. वृक्षों के आसपास की जमीन को मई-जून और फिर दिसम्बर-जनवरी में अच्छी तरह उलट-पलट दें ताकि मक्खी के प्यूपे प्रतिकूल वातावरण और परजीवी शत्रुओं से नष्ट हो जाएं।