बेर की मक्खी

बेर की मक्खी बेर को सबसे अधिक हानि पहुंचाने वाला कीट है।
इसका आकार घरेलू मक्खी जैसा होता है परन्तु इसका रंग भूरा-पीला होता है।
काले रंग के धब्बे वक्ष पर व सलेटी भूरे रंग के धब्बे पंखों पर होते हैं।
जब फल मटर के दाने जितना हो जाता है, तब मादा मक्खी फलों के छिलकों के नीचे अंडे देती है।
प्रभावित फल टेढ़े-मेढ़े आकार के और काने हो जाते हैं, जल्दी पकते हैं और गिर जाते हैं। ऐसे फल खाने के योग्य नहीं रहते।
पूर्णतया विकसित सूंडियां (जो उबले हुए चावल जैसी होती हैं) बाहर निकलने के लिये अपने द्वारा बनाए गए छेद से प्यूपा बनने के लिए जमीन पर गिर जाती हैं।
यह कीट 7 से 24 दिन तक सूंडी की अवस्था में रहता है। इसकी नवम्बर से अप्रैल तक 3-4 पीढ़ियां होती हैं।
अगेती व पछेती फसल और अधिक मिठास वाले फलों में अधिक नुकसान होता है।
प्रौढ़ दीर्घायु होते हैं और एक जीवन चक्र 15 से 40 दिन के अन्दर सितम्बर के महीने में और 35 से 80 दिन में जनवरी में दिए गए अंडों से पूरा होता है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां

1. नवम्बर के आरम्भ में जब फल लगने शुरू हो जाएं और मटर जितने बड़े हो जाएं तब पेड़ों पर
600 मि.ली. आक्सीडिमेटान मिथाइल (मैटासिस्टाक्स) 25 ई.सी. या 500 मि.ली. डायमेथोएट (रोगोर) 30 ई.सी. को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
मध्य दिसम्बर में इन्हीं दवाइयों के छिड़काव को दोहराएं।
जनवरी के आखिर में 500 मि.ली. मैलाथियान(सायथियान) 50 ई.सी.+5 किलोग्राम गुड़ या चीनी को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।

2. कीटों से ग्रसित फलों को प्रतिदिन इकट्ठा करके भूमि में 2 फुट गहरा दबा दें या भेड़ों व बकरियों को खिला दें।
3. मई-जून और दिसम्बर-जनवरी के महीनों में वृक्षों के आसपास की जमीन अच्छी तरह खोद दें।

नोट:

फलों पर मैलाथियान का छिड़काव करने के दो दिन बाद उन्हें तोड़कर कम से कम आधा मिनट तक अच्छी तरह पानी से धोएं, ताकि फलों पर दवा का विषैला प्रभाव न रहे। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हितकर है।