उखेड़ा रोग

उखेड़ा रोग में जड़ों के रोगग्रस्त होने के काफी समय बाद लक्षण दिखाई देते हैं।
रोगग्रस्त   पौधों में पत्तियां बहुत कम हो जाती हैं अथवा सारी पत्तियां गिर जाती हैं। 
पहले पत्तियां पीली पड़ती हैं और बाद में पौधा सूखने लगता है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां 

पौधे उन्हीं खेतों में लगाएं जहां पानी के निकास की अच्छी व्यवस्था हो। बहुत अधिक भारी मिट्टी में पौधे न लगाएं। 
वर्षा या सिंचाई में पानी को तने के चारों ओर खड़ा न होने दें।
रोगग्रस्त पौधों को जड़ सहित उखाड़कर नष्ट कर दें। 
गड्ढे को फारमैलिन के द्वारा ध्रूमित करने के बाद हीे दोबारा पौधा लगाएं।

हर पौधे के थाले में 15 ग्राम बाविस्टिन मार्च, जून व सितम्बर में डालकर पानी लगा दें तथा मार्च व सितम्बर में पौधों पर 0.3 प्रतिशत जिंक सल्फेट का छिड़काव करें।