रोग नियन्त्रण के लिए महीनावार छिडकाव

निम्बूवर्गीय  पौधों की सभी बीमारियों के लिए नीचे दिया गया छिड़काव कार्यक्रम अपनायें:

दिसम्बर-फरवरी


1.पौध गलन या गूंद निकलने वाले भागोें को कुरेद कर साफ करें।
   बोर्डो पेस्ट लगायें और फिर एक सप्ताह बाद दोबारा लगाएं।
2.काट-छांट  के  बाद 0.3% काॅपर-आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
पहला छिड़काव अक्तूबर मेें,
दूसरा दिसम्बर में व
तीसरा फरवरी में करें।
अथवा
500 मि. ग्रा. प्लान्टामाइसिन और 2 ग्राम काॅपर आक्सीक्लोराइड को प्रति लीटर पानी की दर से जुलाई,अक्तूबर, दिसम्बर व फरवरी में छिड़काव करें।

अप्रैल-मई


काॅपर- आक्सीकलोराइड 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करें।
उसके बाद जस्ते की कमी को रोकने के लिये 3 किलोग्राम जिंक सल्फेट +1.5 किलोग्राम बुझा हुआ चूना + 500 लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।

जुलाई

बरसात की पहली बौछार के तुरन्त बाद 0.3 प्रतिशत काॅपर-आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।

अगस्त-सितम्बर

संतरे व माल्टे के कोढ़ की रोकथाम के लिए जिन दिनों पानी न बरसे उन दिनों 0.3 प्रतिशत काॅपर- आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।

सितम्बर माह में व अप्रैल-मई में छिड़के गये जिंक सल्फेट व चूने के मिश्रण का छिड़काव भी दोहरायें। 
काॅपर- आक्सीकलोराइड 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करें। 
उसके बाद जस्ते की कमी को रोकने के लिये 3 किलोग्राम जिंक सल्फेट +1.5 किलोग्राम बुझा हुआ चूना + 500 लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।

केवल स्वस्थ प्रमाणित तनों की कटान ही लगायें।

अक्तूबर-नवम्बर

फरवरी के महीने में बताया गया 0.3%कापर- आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।