नींबू जाति का सूत्रकृमि

नींबू जाति का सूत्रकृमि होने पर पौधों के पत्ते एवं टहनियां ऊपर से सूखने लगती हैं तथा सूख कर ऊपर से नीचे की तरफ बढ़ती जाती है ।
कमजोर पौधों पर छोटे फलों का लगना तथा फलों का समय से पहले गिर जाना  आम लक्षण हैं।
जड़ों की आकार-विकृति तथा मिट्टी के कणों के अच्छी तरह जड़ों से चिपके रहने से मटमैला रंग हो जाना मुख्य लक्षण हैं।
अधिक प्रकोप से जड़ों की खाल उतर जाती है तथा काले मटमैले धब्बे भी दिखाई देने लगते हैं।

रोकथाम

1.कार्बाेफ्यूरान (फयूराडान 3-जीे)  के दाने 13 ग्राम, प्रति वर्ग मीटर की दर से पौधों के तनों के आसपास 9 वर्गमीटर क्षेत्र में (117 ग्राम प्रति पौधा) अच्छी तरह मिलाएं तथा तुरन्त प्रचुर मात्रा में पानी दें।
दवा का प्रयोग फूल आने से पहले करें।

2.नीम की खली 1 कि.ग्रा. प्रति पौधा एवं कार्बोफ्यूरान (फ्यूराडान 3-जी) के दाने 7 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से पौधे के तने के आसपास के 9 वर्ग मीटर क्षेत्र में (63 ग्र्राम प्रति पौधा) अच्छी तरह मिलाएं तथा तुरन्त प्रचुर मात्रा में पानी दें।
खली एवं दवा का प्रयोग फूल आने से पहले करें।