नींबू का सिल्ला

नींबू का सिल्ला नींबू जाति के सभी वृक्षों का एक प्रमुख कीट है।
इस कीट के गोल,चपटे एवं नारंगी-पीले रंग के शिशु तथा भूरे रंग के प्रौढ़ नई टहनियों और पत्तों से रस चूसते हैं, जिससे ये धीरे-धीरे पीले पड़कर अन्त में सूख जाते हैं।
सिल्ला के शिशु , प्रौढ़ की अपेक्षा अधिक हानिकारक होते हैं।
यह कीट साल भर सक्रिय रहता है। इसकी  8 से 10 पीढ़ियां होती है । मार्च-अप्रैल तथा वर्षा ऋतु के बाद यह सबसे अधिक हानि पहुंचाता है। इसके प्रकोप से पैदावार एवं गुणों पर विपरीत असर होता है।
इसके शिशु 10 से 35 दिन में विकसित होकर प्रौढ़ बन जाते हैं।
माल्टा एवं मीठे नींबू पर इसका प्रकोप ज्यादा होता है।

नियन्त्रण एवं सावधानियां

750 मि.ली. आक्सीडेमेेटान मिथाइल (मैटासिस्टाक्स) 25 ई.सी. या
625 मि.ली. डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ई.सी. या 
500  मि.ली.  मोनोक्रोटोफास (न्यूवाक्रान/मोनोसिल) 36 डब्ल्यू.एस.सी. को 500 लीटर पानी में प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़कें।

नोट:
1.परागीकरण करने वाले कीटों की रक्षा हेतु फूल आने के समय कीटनाशक दवाओं का छिड़काव न करें।
2.नींबू जाति के सभी वृक्षों व बाड़ की झाड़ियों पर छिड़काव न करें।