पत्ती मरोड़ रोग (लीफ कर्ल रोग )

       इस रोग के लक्षण सबसे पहले ऊपर की कोमल पत्तियों पर दिखार्इ देते है। छोटी नसें मोटी हो जाती हैं,पत्ता ज्यादा हरा दिखार्इ देता है, पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ कर कप जैसी आकृति की हो जाती हैं और कहीं-कहीं पर पत्तियों की निचली तरफ नसों पर पत्ती की आकार की बढ़वार भी दिखार्इ देती है। अधिक प्रकोप की अवस्था में पौधे छोटे रह जाते हैं, इन पर फूल, कली टिण्डे नहीं लगते, इनकी बढ़वार एकदम रुक जाती है और इसका उपज पर बहुत विपरीत असर पड़ता है। यह एक विषाणु  द्वारा होता है। सफेद मक्खी इस रोग को फैलाने में सहायक है। यह रोग बीज,जमीन या छूने से नहीं होता है

       अनुकूल मौसम: पत्ती मरोड़ रोग दिन का औसत तापमान27.5 से 32.5 डिग्री सेल्सियस तथा हवा में नमी 60 से 85 प्रतिशत होने पर प्रकोप होता है। जुलाई अगस्त में लगातार वर्षा होने पर प्रकोप ज्यादा होता है

       सावधानियां:

       जहां यह रोग ज्यादा हो वहां पर देसी कपास बोर्इ जाये क्योंकि देसी कपास में यह रोग नहीं लगता। सफेद मक्खी का पूर्ण रूप से नियन्त्रण रखें। कर्इ प्रकार के खरपतवार भी इस रोग को फैलाने में सहायक हैं। इसलिए खेतों को,आसपास के क्षेत्रों को तथा नालियों आदि को बिल्कुल साफ रखना बहुत जरूरी है। भिण्डी पर भी यह रोग पाया जाता है। इसलिए जहां पर यह रोग लगता हो वहां पर भिण्डी की काश्त करें।