हरा तेला

हरा तेला के लक्षण

हरे पीले रंग के इसके शिशु व प्रौढ़ पत्तों की निचली सतह से मई से सितम्बर तक रस चूसते हैं। ग्रसित पत्ते पीले पड़ जाते हैं और किनारों से ऊपर की ओर मुड़कर कप का आकार बना लेते हैं। अधिक प्रकोप होने पर पत्ते जल जाते हैं तथा सूखकर झड़ जाते हैं।

रोकथाम एवं सावधानियां

तेले से बचाव के लिए बीज का उपचार इमीडाक्लोपरिड 70 डब्ल्यू. एस. 5 ग्राम  या क्रुजर 35 एफ.एस. (थायामिथोक्षम) 5.7 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें।
बीज उपचार के लिए, बीज को 6 से 12 घंटे तक पानी में भिगोयें।
भीगे हुए बीज को आधे से एक घंटे तक छाया में सुखायें और ऊपर लिखित  दवाई डालकर अच्छी तरह मिला दें।
अगर बीज का उपचार न किया गया हो तो भिण्डी की खड़ी फसल में हरा तेले के उपचार के लिए एक्टारा 25 डब्ल्यू.जी. (थायामिथोक्षम) नामक दानेदार कीटनाशक 40 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में छिड़काव करें।
इस कीटनाशक को 20 दिन के अंतराल पर आवश्यकता हो तो फिर दोहराएं।
भिण्डी में फल लगने पर जो खाने के लिए उगाई गई हों यह छिड़काव न करें तथा 300-500 मि.ली. मैलाथियान 50 ई.सी. 200-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।